
मणिपुर में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जारी हिंसा को 63 दिन हो गए। राज्य में हालात अभी भी गंभीर बने हुए हैं। मंगलवार को थोउबल जिले में भीड़ ने भारतीय रिजर्व बटालियन के कैंप पर हमला कर दिया और हथियार चुराने की कोशिश की।
इस दौरान भीड़ और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हो गई। हथियारों से लैस भीड़ ने ओपन फायर किया, जिसके जवाब में सेना को गोली चलानी पड़ी। 27 साल के एक शख्स की मौत हो गई, जबकि असम राइफल्स का जवान गोली लगने से घायल हो गया।
अधिकारियों ने बताया कि भीड़ ने कैंप तक आने वाले कई रास्तों को ब्लॉक कर दिया, जिससे अतिरिक्त सुरक्षाबल वहां न पहुंच सके, लेकिन फोर्सेस किसी तरह आगे बढ़ पाईं। इस बीच भीड़ ने जवानों की गाड़ी को भी आग लगा दी।

मणिपुर हिंसा से जुड़े अपडेट्स…
- मणिपुर में हिंसा के बीच सरकार ने स्कूल खोलने के आदेश दिए हैं। पहली से आठवीं क्लास के बच्चों के स्कूल बुधवार से खोले जाने हैं।
- नवीं से 12वीं तक के स्कूल और कॉलेजों को अभी नहीं खोला जाएगा। इन स्कूलों में राहत कैंप लगे हैं। शिविरों में लगभग 50 हजार से ज्यादा लोग रह रहे हैं।
- CM ने गांवों में बने प्राइवेट बंकर को हटाने का आदेश दिया था, लेकिन जनजातीय संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
- राज्य के 16 में से 5 जिलों से कर्फ्यू हटा दिया गया है। अब 11 जिलों में शाम 5 बजे से सुबह 5 बजे तक का कर्फ्यू जारी है।
3 जुलाई को कुकी नेता के घर में लोगों ने आग लगा दी थी

3 जुलाई को चुराचांदपुर के सोंगपी में कुछ अज्ञात लोगों ने कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन के प्रवक्ता सेलेन हाओकिप के घर को आग लगा दी। सोमवार को कांगपोकपी इलाके में हिंसा की कई घटनाएं दर्ज हुईं। सूत्रों के मुताबिक, सोमवार सुबह फाइलेंग गांव में गोलियां चलीं।
2 जुलाई को हुई थी 4 की मौत, CM घटनास्थल पर पहुंचे थे

2 जुलाई की सुबह बिष्णुपुर-चुराचांदपुर सीमा पर दोनों समुदाय के लोग भिड़ गए थे। इसमें तीन लोगों की गोली लगने से जान चली गई। एक अन्य का सिर काट दिया गया था। CM एन बीरेन सिंह ने कुंबी में आने वाले इस इलाके का दौरा किया। उन्होंने मरने वालों को श्रद्वांजलि दी और स्थानीय लोगों को सुरक्षा देने का वादा किया।

हम मणिपुर के लोगों को शरण देना जारी रखेंगे, वहां हालात खराब हैं: मिजो CM
मणिपुर के पड़ोसी राज्य मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने मंगलवार को कहा कि हमारे यहां लगभग 15 हजार लोग शरण लिए हुए हैं। हम आने वाले समय में भी मणिपुर के लोगों को शरण देना जारी रखेंगे।
जोरमथांगा ने कहा कि 3 मई के बाद से मणिपुर में अब तक कुछ भी नहीं बदला है। मणिपुर में हर दिन हालात बिगड़ रहे हैं। वहां के लोगों से हमारा खून का रिश्ता है, हम उन्हें मुसीबत में नहीं छोड़ सकते।
4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।