
इजराइल और फिलिस्तीन के बीच जेनिन शहर में 2 दिन से जारी तनाव के बाद मंगलवार को इजराइली सेना ने वेस्ट बैंक से पीछे हटना शुरू कर दिया। सेना के 2 दिन के ऑपरेशन में करीब 12 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई, वहीं 100 से ज्यादा घायल हुए हैं। इस रेड के दौरान एक इजराइली सैनिक की भी मौत हो गई। अल जजीरा ने बताया कि इजराइल के ऑपरेशन ने जेनिन में रिफ्यूजी कैंप को तबाह कर दिया।
इलाके में मौजूद घर, सड़कों और कारों का मलबा हर जगह फैल गया। इसके बाद मंगलवार देर रात गाजा पट्टी से इजराइल पर मिसाइल फायर की गई। हमलों को देखते हुए सदर्न इजराइल में अलर्ट सायरन बजाया गया और आयरन डोम को एक्टीवेट कर दिया गया। इजराइली मिलिट्री ने गाजा से आए 5 रॉकेट को मार गिराने की पुष्टि की। इसके बाद सेना ने गाजा पट्टीऔर हमास के ठिकानों पर दोबारा एयरस्ट्राइक की।

PM नेतन्याहू बोले- आतंकियों के खिलाफ जंग जारी रहेगी
इस बीच तेल अवीव में एक हमास सपोर्टर अपनी कार लेकर बस स्टॉप में घुस गया और लोगों पर चाकू से हमला करने लगा। इस अटैक में 8 लोग घायल हो गए। इस पर इजराइल के प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू ने कहा- इस तरह के हमले आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई को नहीं रोक सकते हैं। अभी के लिए इजराइली सेना अपना मिशन पूरा करके लौट रही है, लेकिन जरूरत पड़ने पर हम फिर लौटेंगे।
फिलिस्तीनी लीडर्स ने इजराइल के हमलों को कब्जे की कोशिश करार दिया है। हमास लीडर ओसामा हमदान ने कहा- तेल अवीव में अटैक के लिए इजराइली सेना खुद जिम्मेदार है। उन्होंने जेनिन में जो अपराध किया, ये उसी का नतीजा है। इससे पहले सोमवार को फिलिस्तीन के आतंकी संगठन ने इजराइल को तबाह करने की धमकी दी थी।




हमास: कैसे और क्यों बना
- 1948 में इजराइल के जन्म के बाद भी फिलिस्तीन से उसका संघर्ष हर स्तर पर जारी रहा। इजराइल को जब लगा कि डिप्लोमैटिक लेवल पर वो फिलिस्तीन के सामने कमजोर पड़ रहा है, तो 1970 के दशक में उसने फिलीस्तीन के एक कट्टरपंथी संगठन को उदारवादी फिलिस्तीन नेताओं के विरोध में खड़ा कर दिया। इसको नाम दिया गया हमास। हालांकि, हमास की औपचारिक स्थापना 1987 में मानी जाती है।
- इजराइल के पूर्व जनरल यित्जाक सेजेव ने कहा था- जहर से जहर मारने की यह नीति एक ऐतिहासिक गलती थी। इजराइली सरकार ने मुझे हमास के लिए बजट भी दिया था। इसका अफसोस हमें आज भी है। सेजेव 1980 के दशक में गाजा के गवर्नर भी रहे।
- हमास ने फिलिस्तीन के लिबरल लीडरशिप को धीरे-धीरे किनारे कर दिया और खुद फिलीस्तीन आंदोलन का झंडाबरदार बन गया। इसमें 90% युवा फिलिस्तीनी हैं।
- हमास को तुर्किये और कतर से फंडिंग मिलती है। हमास के एक नेता खालिद मेशाल ने तो कतर में इसका दफ्तर भी खोला था। ईरान भी हमास को हथियार और पैसा देता है। हालांकि, ईरान शिया मुल्क है, जबकि अरब वर्ल्ड सुन्नी है। ये तस्वीर 3 जुलाई की है। इजराइली सेना के साथ संघर्ष के दौरान फिलिस्तीन के लड़ाके बंदूक लेकर सड़कों पर नजर आए।
हमास एक नजर में
- ‘टाइम्स ऑफ इजराइल’ के मुताबिक, हमास में करीब 27 हजार लोग हैं। इन्हें 6 रीजनल ब्रिगेड में बांटा गया है। इसकी 25 बटालियन और 106 कंपनियां हैं। इनके कमांडर बदलते रहते हैं।
- हमास में 4 विंग हैं। मिलिट्री विंग के चीफ हैं- इज अद-दीन अल कासिम। पॉलिटिकल विंग की कमान इस्माइल हानिया के हाथों में हैं। इस विंग में नंबर दो पर हैं मूसा अबु मरजूक। एक और नेता हैं खालिद मशाल। इंटरनेशनल अफेयर्स के लिए यह मुस्लिम ब्रदरहुड पर निर्भर है। एक सोशल विंग भी है।
- इजराइल के उन हिस्सों पर कब्जा करना, जिनमें ज्यादातर फिलीस्तीनी हैं। एक स्वतंत्र देश के रूप में खुद को स्थापित करना।
- कई साल बाद अब हमास इजराइल को परेशान कर पाया है। इसके सदस्य आम लोगों की भीड़ में शामिल होकर इजराइली सैनिकों पर हमले करते हैं। इजराइल की ताकत के चलते अब ज्यादा मदद नहीं मिल पा रही। हर बार झड़प में हमास को ही नुकसान हुआ।