‘तकरीबन 10-12 साल की उम्र रही होगी। एक रिलेटिव के यहां शादी थी। पूरे परिवार को वहां जाना था। मेरे पास कपड़े के नाम पर बस एक स्कूल ड्रेस थी।
घर में गरीबी का आलम ऐसा कि खाने के पैसे नहीं थे, तो नए कपड़े खरीदने के पैसे कहां से आते। मम्मी रिश्तेदार के यहां से मेरे लिए कपड़े मांगकर लाई, जिसे पहनकर मैं उस शादी में गया।’
‘जब हाई स्कूल में गया, तो यह स्कूल गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर था। मुझे साइकिल की जरूरत थी। पापा ने कहा- नई साइकिल तो काफी महंगी आएगी, पुरानी ही खरीदनी पड़ेगी, लेकिन उसके लिए भी पैसे नहीं थे।
तीन लोगों से कर्ज लेकर पुरानी साइकिल खरीदी गई। मां ने इन लोगों का पैसा दो साल में चुकाया।’
बिहार की राजधानी पटना। एक बिल्डिंग के दूसरे फ्लोर पर ‘रोडबेज’ नाम से एक कैब सर्विस का बोर्ड लगा हुआ है। ऑफिस के अंदर एंटर करते ही एक तरफ कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव कैब बुक करने वालों से बातचीत कर रहे हैं। मैं यहां ‘रोडबेज’ कंपनी के फाउंडर दिलखुश कुमार से मिलने आया हूं।
कंपनी का सेटअप और दिलखुश के अंदाज को देखकर यही लग रहा है कि उनके पास IIT या IIM की डिग्री है।
मेरा उनसे पहला सवाल यही होता है।
आपने पढ़ाई कहां तक की है?
दिलखुश एक शब्द में कहते हैं- गांव से…
मैं अपना सवाल दोहराता हूं।
दिलखुश मुस्कुराते हुए बिहारी ठसक के साथ कहते हैं, ‘सही कह रहा हूं न ! गांव से 12वीं तक की पढ़ाई की है, वो भी सिर्फ नाम की। मेरी क्वालिफिकेशन देखकर आप मेरी टीम के बारे में अंदाजा न लगाएं। यहां जिन लोगों की टीम आप देख रहे हैं, उनमें से कई IIT, IIM के लोग हैं।
दिलखुश अपने पुराने दिनों की तरफ लौटते हैं।
बताते हैं, ‘पापा बस ड्राइवर थे। घर की स्थिति खराब थी। जैसे-तैसे हम लोगों का पेट पल रहा था।
गांव में पढ़ने की भी सुविधा नहीं थी। 12वीं पास करने के कुछ साल बाद ही मेरी शादी हो गई। कम उम्र का लड़का, घर चलाने का बोझ सिर पर आ गया। कुछ दिन दिल्ली में भी रहा। रिक्शा चलाया, फिर भागकर वापस बिहार आ गया।
यहां अपने जिले सहरसा में एक कैब सर्विस स्टार्ट की। फिर जब इस बात का अंदाजा लगा कि बिहार के लोगों को पटना आने में आज भी दिक्कतें होती हैं, तब 2021 में ‘रोडबेज’ कंपनी की शुरुआत की।
दिलखुश जिस कॉन्सेप्ट के साथ बिजनेस को चला रहे हैं, वो बड़ा ही दिलचस्प है।
वो बताते हैं, ‘बिहार के लोगों को किसी भी काम से पटना आना ही पड़ता है। चाहे उन्हें एयरपोर्ट जाना हो या हॉस्पिटल या स्टेशन। अब तक यही होता रहा है कि अगर आप मुजफ्फरपुर से पटना टैक्सी से आ रहे हैं, तो आपको दोनों तरफ का किराया देना होगा।
ऐसा मान लिया जाता था कि जो टैक्सी मुजफ्फरपुर से पटना आएगी, उसे वापस पटना से मुजफ्फरपुर के लिए पैसेंजर मिलेगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं। इसलिए दोनों तरफ का किराया आने वाले पैसेंजर को ही देना होगा।
हमने इसी प्रॉब्लम को सॉल्व किया है।
अब बिहार के किसी भी कोने से किसी को पटना आना है, तो उसे सिर्फ एक तरफ की दूरी के मुताबिक किराया देना होगा, लेकिन यहां तक पहुंचना मेरे लिए आसान नहीं था।