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टाइटन पनडुब्बी में सवार सभी पांच लोगों की मौत:इसका मलबा टाइटैनिक के मलबे के 1600 फीट नीचे मिला, चार दिन से लापता थी

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लापता होने के 4 दिन बाद टाइटन पनडुब्बी का मलबा टाइटैनिक जहाज के मलबे से 1600 फीट नीचे मिल गया है। पनडुब्बी में मौजूद सभी 5 लोगों की मौत हो गई है। - Dainik Bhaskar
लापता होने के 4 दिन बाद टाइटन पनडुब्बी का मलबा टाइटैनिक जहाज के मलबे से 1600 फीट नीचे मिल गया है। पनडुब्बी में मौजूद सभी 5 लोगों की मौत हो गई है।

टाइटन पनडुब्बी का मलबा अटलांटिक महासागर में मिल गया है। ये टाइटैनिक जहाज के मलबे से 1600 फीटे नीचे है। पनडुब्बी 18 जून की शाम को पायलट समेत चार टूरिस्ट को लेकर टाइटैनिक का मलबा दिखाने गई थी, लेकिन 1:45 घंटे बाद लापता हो गई थी।

सबमरीन में मौजूद पांचों लोगों की मौत हो गई है। इनमें ब्रिटिश बिजनेसमैन हैमिश हार्डिंग, फ्रांस के डाइवर पॉल-हेनरी, पाकिस्तानी-ब्रिटिश कारोबारी शहजादा दाऊद, उनका बेटा सुलेमान और ओशनगेट कंपनी के CEO स्टॉकटॉन रश शामिल हैं। अमेरिकी कोस्ट गार्ड के अधिकारियों ने गुरुवार शाम को इसकी पुष्टि की। हालांकि, इनके शव अब तक बरामद नहीं हुए हैं।

अमेरिकी कोस्ट गार्ड के रिअर एडमिरल जॉन मॉगर ने कहा, ‘अटलांटिक महासागर में पनडुब्बी के मलबे को रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल से खोजा गया। संभव है कि इसमें विस्फोट हुआ हो। हालांकि, अभी यह बताना जल्दबाजी होगी कि विस्फोट कब हुआ। इस बारे में अभी बहुत से सवाल हैं, जिनके जवाब तलाशने हैं।

रॉयटर्स के मुताबिक, यह पनडुब्बी भारतीय समयानुसार 18 जून की शाम 5:30 बजे अटलांटिक महासागर में छोड़ी गई थी। ये 1:45 घंटे बाद लापता हो गई थी। पिछले 4 दिन से सर्च ऑपरेशन जारी था, जो अब खत्म कर दिया गया है। सर्चिंग में अमेरिका, कनाडा, फ्रांस और ब्रिटेन के एयरक्राफ्ट्स और जहाज शामिल थे।

मलबे में पनडुब्बी के 5 हिस्से बरामद, विस्फोट की आशंका
CNN के मुताबिक, मलबे में 22 फीट लंबी टाइटन पनडुब्बी के 5 हिस्से बरामद हुए हैं। इसमें टेल कोन और प्रेशर हल के 2 सेक्शन शामिल हैं। अमेरिकी कोस्ट गार्ड अधिकारियों ने बताया कि मलबे में फिलहाल किसी भी पैसेंजर के अवशेष नहीं मिले हैं। पनडुब्बी बनाने वाली कंपनी ओशनगेट ने कहा- हादसे में जिन लोगों की मौत हुई वो सही मायने में एक्सप्लोरर्स थे। हम इस कठिन समय में उनके परिवार के साथ हैं।

कोस्ट गार्ड के रिअर एडमिरल मॉगर ने बताया कि एक रोबोट एयरक्राफ्ट अटलांटिक महासागर में लगातार मलबा इकट्ठा करता रहेगा। इसके जरिए हादसे के बारे में और जानकारी जुटाने की कोशिश की जाएगी। हालांकि, महासागर में इतनी गहराई से मरने वाले लोगों के बारे में कुछ भी पता लगाना बहुत मुश्किल है।

पनडुब्बी को ढूंढने के लिए महासागर में सोनार-बॉय छोड़े गए थे। ये 13 हजार फीट की गहराई तक मॉनिटर करने में सक्षम होते हैं।
पनडुब्बी को ढूंढने के लिए महासागर में सोनार-बॉय छोड़े गए थे। ये 13 हजार फीट की गहराई तक मॉनिटर करने में सक्षम होते हैं।

रडार पर मिले थे विस्फोट के सिग्नल
गुरुवार को अमेरिकी नेवी के एक अफसर ने बताया कि टाइटन पनडुब्बी की आखिरी लोकेशन टाइटैनिक जहाज के पास से ही रिकॉर्ड की गई थी। लापता होने के कुछ देर बाद रडार पर विस्फोट से जुडे़ कुछ सिग्नल भी मिले थे। ये जानकारी तुरंत कमांडर के साथ शेयर कर दी गई थी, जिससे सर्च ऑपरेशन में मदद मिल सके।

21 जून को मलबे के पास से आई थीं कुछ आवाजें
इससे पहले बुधवार (21 जून) को कनाडा की तरफ से सर्च ऑपरेशन में शामिल एक एयरक्राफ्ट को सोनार-बॉय की मदद से कुछ आवाजें सुनाई दी थीं। CNN के मुताबिक, ये उसी जगह के पास से रिकॉर्ड की गईं थीं, जहां टाइटैनिक का मलबा मौजूद है। आवाजें करीब 30 मिनट के इंटरवल पर रिकॉर्ड हुई थीं। फिर 4 घंटे बाद सोनार ने दोबारा इन्हें डिटेक्ट किया था।

टाइटैनिक जहाज का मलबा कहां है और पनडुब्बी के लिए कहां सर्चिंग की गई…

मैप उस जगह का है जहां टाइटैनिक का मलबा मौजूद है और अमेरिका-कनाडा के एयरक्राफ्ट, जहाज इसकी सर्चिंग कर रहे हैं। (प्रतीकात्मक)

टाइटैनिक जहाज का मलबा अटलांटिक ओशन में मौजूद है। ये कनाडा के न्यूफाउंडलैंड के सेंट जोन्स से 700 किलोमीटर दूर है। मलबा महासागर में 3800 मीटर की गहराई में है। पनडुब्बी का ये सफर भी कनाडा के न्यूफाउंडलैंड से ही शुरू होता है। ये 2 घंटे में मलबे के पास पहुंच जाती है।

अमेरिका-कनाडा की रेस्क्यू टीम समुद्र में 7,600 स्क्वायर मील के एरिया में सर्चिंग कर रही थी। पानी में सोनार-बॉय भी छोड़े गए थे, जो 13 हजार फीट की गहराई तक मॉनिटर करने में सक्षम हैं। इसके अलावा कमर्शियल जहाजों की भी मदद ली गई थी।

अब इस पनडुब्बी के बारे में जानिए..

ये ओशनगेट कंपनी की टाइटन सबमरीन का ग्राफिक है।
ये ओशनगेट कंपनी की टाइटन सबमरीन का ग्राफिक है।

पनडुब्बी ओशन गेट कंपनी की टाइटन सबमर्सिबल है। इसका साइज एक ट्रक के बराबर है। ये 22 फीट लंबी और 9.2 फीट चौड़ी है। पनडुब्बी कार्बन फाइबर से बनी है​​​​​​। टाइटैनिक का मलबा देखने जाने के लिए प्रति व्यक्ति 2 करोड़ रुपए फीस है। ये सबमरीन समुद्र में रिसर्च और सर्वे के भी काम आती है। इस सबमरीन को पानी में उतारने और ऑपरेट करने के लिए पोलर प्रिंस वेसल का इस्तेमाल किया जाता है।

तस्वीर टाइटैनिक जहाज की है जो 10 अप्रैल 1912 को अपने पहले और आखिरी सफर पर निकला था।
तस्वीर टाइटैनिक जहाज की है जो 10 अप्रैल 1912 को अपने पहले और आखिरी सफर पर निकला था।

फरवरी में जारी हुआ था मलबा देखने जा रहे यात्रियों का वीडियो
इस साल फरवरी में टाइटैनिक का मलबा देखने जाने की पिछली यात्राओं में से एक का वीडियो यूट्यूब पर जारी किया गया था। इसमें 80 मिनट के अनकट फुटेज थे। फिर मई में जहाज के मलबे का पहला फुल साइज 3-D स्कैन भी प्रकाशित किया गया था। हाई रेजोल्यूशन फोटोज में मलबे को री-कंस्ट्रक्ट किया गया। इसके लिए डीप सी मैपिंग तकनीक का उपयोग किया गया था।

2022 में डीप-सी मैपिंग कंपनी मैगलन लिमिटेड और अटलांटिक प्रोडक्शंस ने एक बार फिर री-कंस्ट्रक्शन किया। अटलांटिक के तल पर जहाज के मलबे का सर्वेक्षण करने में विशेषज्ञों ने 200 घंटे से ज्यादा का समय बिताया। उन्होंने रिमोटली कंट्रोल्ड पनडुब्बी से स्कैन बनाने के लिए 7 लाख से ज्यादा फोटोज लिए थे। डीप-सी मैपिंग कंपनी मैगलन लिमिटेड और अटलांटिक प्रोडक्शंस इस प्रोजेक्ट पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बना रही हैं।

 

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