उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले का पुरोला शहर। 26 मई को एक लड़की की कथित किडनैपिंग की कोशिश के बाद शहर में तीन हफ्ते से तनाव का माहौल है। गांव में रहने वाले 35-40 मुस्लिम परिवारों में से ज्यादातर को शहर छोड़ना पड़ा। उनकी दुकानों पर ताले लटके हैं।
सवाल यही है कि किडनैपिंग की कोशिश से जुड़ी घटना ने इतना तूल कैसे पकड़ा? जवाब है- केस से जुड़ गई ‘लव जिहाद’ की थ्योरी। दो आरोपियों में से एक उबैद खान मुस्लिम समुदाय से है। दूसरे आरोपी का नाम जितेंद्र सैनी है। उबैद का नाम आते ही इस केस को ‘लव जिहाद’ कहा जाने लगा। सवाल ये भी है कि ये एंगल कहां से आया? इसकी पड़ताल के लिए भास्कर पहुंचा पुरोला।

जिस 14 साल की अर्चना (बदला हुआ नाम) की किडनैपिंग की कोशिश का केस दर्ज हुआ है, हम उसे खोजते हुए उसके घर पहुंचे। अर्चना का घर मेन पुरोला से सिर्फ 1 किमी दूर है। अर्चना के माता-पिता नहीं हैं और वो मामा के घर में रहती है। लड़की के मामा संतोष (बदला हुआ नाम) सरकारी प्राइमरी स्कूल में टीचर हैं।
घर पहुंचने से पहले हमने लड़की के मामा संतोष को कॉल किया, कहा ‘हम मीडिया से हैं, आपसे बात करना चाहते हैं।’ जवाब मिला- ‘मैं किसी से नहीं मिलना चाहता।’ इतना कहकर उन्होंने फोन डिसकनेक्ट कर दिया। उनके मना करने के बावजूद मामले का सच जानने हम उनके घर पहुंच गए।
हम जो भी बोलेंगे, अब सीधे कोर्ट में बोलेंगे…
एकदम नया घर जिस पर अभी रंगाई-पुताई भी नहीं हुई है, पता चला कि इसी घर में अर्चना मामा संतोष के साथ रहती थी। बरामदे से होते हुए हम घर में दाखिल हुए। संतोष के बारे में पूछा तो बाहर से कुंडी लगे कमरे से आवाज आई कि ‘मैं ही संतोष हूं, मीडिया से कोई बात नहीं करनी है। हमें जो बोलना है, कोर्ट में बोलेंगे।’
हमने कहा कि आपसे सिर्फ बात करने आए हैं, ताकि पुरोला के केस का सच जान सकें। काफी देर के सन्नाटे के बाद उन्होंने पत्नी को बुलाया और कहा कि कमरे की कुंडी खोल दो। इसके बाद संतोष बाहर निकले।
संतोष कहते हैं कि ‘26 मई को अर्चना वाले केस के बाद हालत इतनी खराब है कि मैं बाजार तक नहीं जा पा रहा हूं। दिनभर में बीसियों कॉल आते हैं। इसीलिए दूसरा सिम ले लिया है। कमरे में बंद रहता हूं और बाहर से कुंडी लगवा लेता हूं।’
‘26 मई को असल में क्या हुआ था’? हमने सिर्फ इतना ही कहा कि कई दिनों से रुका संतोष का सब्र का बांध टूट पड़ा। अब उन्होंने जो बताया पढ़िए-
‘26 मई को रोज की तरह मैं घर से स्कूल के लिए निकला। शाम 3 बजे स्कूल से घर लौट रहा था। रास्ते में 3 बजकर 7 मिनट पर पुरोला मेन मार्केट में काम करने वाले आशीष चुनार ने कॉल करके बताया कि मेरी भांजी को दो लड़के टैम्पो में बैठाकर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं फौरन मेन मार्केट के लिए चल दिया। तब तक आशीष ने आवाज लगाकर दोनों लड़कों उबैद और जितेंद्र सैनी को रोकना चाहा, लेकिन दोनों भाग गए।’
उबैद से कहा था- सॉरी बोलो और मामला खत्म करो…
‘पुरोला छोटा सा शहर है, मैं उबैद और जितेंद्र को पहले से जानता था। इसके बाद वहां भीड़ इकट्ठा हो गई। मैं भांजी अर्चना को लेकर सीधे उबैद की दुकान पर पहुंचा। हमने कहा कि उबैद को बुलाओ। करीब घंटाभर बाद उबैद आया। दुकान के बाहर भीड़ लग चुकी थी।’
‘उबैद आया तो हमने पूछा कि सच बताओ, वहां क्या कर रहे थे? उबैद कुछ नहीं बोला और इधर-उधर की बात करने लगा।’
इसके बाद मामा संतोष ने पुलिस में शिकायत करने का फैसला लिया और पुलिस चौकी का रुख किया। पुलिस चौकी में लड़की अर्चना, मामा संतोष और दोनों आरोपी उबैद-जितेंद्र मौजूद थे।
संतोष बताते हैं कि ‘हमने दोनों से कहा कि सही बता दो, क्या करने वाले थे। अपनी गलती मानो और सॉरी बोलकर मामला खत्म करो।’ उबैद अकड़ दिखाते हुए बोला- ‘अब देख लेना क्या होता है’। संतोष ने तभी फैसला किया कि पुलिस से लिखित शिकायत करनी है।
लव जिहाद वाले कंप्लेंट लेटर को फाड़कर फेंक दिया…
भीड़ बढ़ चुकी थी। इसमें कुछ स्थानीय हिंदुत्ववादी नेता भी शामिल हो गए। स्थानीय लोगों ने एक शिकायत पत्र लिखा। संतोष बताते हैं, ‘लोगों ने जो कंप्लेंट लिखकर थानेदार को दी, उसमें कई मनगढंत बातें जोड़ दीं। ‘लव जिहाद’ का भी जिक्र किया। मैंने ये लेटर पढ़ा तो फाड़कर फेंक दिया।
इस लेटर में लिख दिया था कि मेरी भांजी को बहला-फुसलाकर उबैद बहुत बड़ी घटना को अंजाम देना चाहता था। लव जिहाद के जरिए देह व्यापार कराने की साजिश रच रहा था। इसके बाद मैंने जो हुआ था, वो सच-सच लिखकर शिकायत खुद थानेदार साहब को दिया।’

पुलिस ने 26 मई की शाम को ही दोनों लड़कों को गिरफ्तार करके केस दर्ज कर लिया। संतोष इसके बाद भांजी को लेकर घर आ गए, लेकिन शाम होते-होते लोकल मीडिया ने किडनैपिंग के इस केस को लव जिहाद का रंग दे दिया।
संतोष कहते हैं कि ‘मैं इस मुद्दे को भड़काना नहीं चाहता था। इसलिए एक बार भी किसी प्रदर्शन या रैली में शामिल नहीं हुआ।’ संतोष ने आरोप लगाया कि पुरोला व्यापारी संघ ने अपने फायदे के लिए इस मुद्दे को सियासी बना दिया है और इस पर राजनीति कर रहे हैं।’
मुद्दा गलत दिशा में गया, तो मैंने FIR होल्ड करनी चाही…
लड़की के मामा संतोष आगे बताते हैं, ‘27 मई तक मामले की चर्चा पूरे उत्तराखंड में फैल गई थी। मुझे लग गया था कि अब लोग अपने-अपने राजनीतिक हित साधने के लिए मुद्दे को गलत दिशा दे रहे हैं। मैं उसी दिन थाने गया और थानेदार से कहा कि ये मुद्दा ज्यादा ही बड़ा हो गया। क्या इसकी FIR को होल्ड किया जा सकता है। थानेदार ने साफ कह दिया अब केस दर्ज हो गया है। थाने में उबैद मेरे पैर पर गिर कर माफी मांग रहा था, लेकिन मैंने कहा कि अब मेरे हाथ में कुछ नहीं है।’
संतोष 27 मई के बाद से पुरोला में किसी भी रैली, सभा, प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए। 29 मई को पुरोला में व्यापारी संघ ने रैली की थी। इसी रैली के दौरान मुस्लिमों के घर के बाहर नारेबाजी की गई और पुरोला छोड़ने की धमकी दी गई। रैली मेन मार्केट पहुंची तो उपद्रव शुरू हो गया। मुस्लिम व्यापारियों की दुकान के बाहर लगे होर्डिंग्स को फाड़ा गया।
29 मई के बाद पुरोला के आस-पास के कस्बों बड़कोट, नोगांव, आराकोट, मोरेह में भी रैली और प्रदर्शन शुरू हो गए, लेकिन लड़की के मामा संतोष ने हर प्रदर्शन से दूरी बनाई।

4 जून को देहरादून से आए हिंदुत्ववादी नेता और ‘देवभूमि रक्षा समिति’ नाम का संगठन चलाने वाले स्वामी दर्शन भारती ने भी पुरोला में रैली की। भगवा कपड़े पहने दर्शन भारती के साथ स्थानीय लोग इकट्ठा हुए और मेन मार्केट में भड़काऊ नारेबाजी भी हुई।
4 जून की रात को ही मार्केट में मुस्लिम व्यापारियों की दुकानों पर एक पोस्टर चिपकाया गया। इस पोस्टर पर लिखा था ‘जिहादी अपनी दुकान खाली कर दो’। हमने सीसीटीवी फुटेज हासिल किया है, जिसमें रात 9.07 मिनट पर एक व्यक्ति पोस्टर चिपकाते दिख रहा है। स्वामी दर्शन ने भी भास्कर से बातचीत में कहा है कि ‘अगर किसी हिंदू ने ये पोस्टर लगाया है, तो मैं इसका समर्थन करता हूं।