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कोर्ट की टिप्पणी- हर बार मर्द गलत हो, जरूरी नहीं

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इंदौर में पॉक्सो एक्ट में युवती को सजा; जेल जाने से पहले बोली- मुझे बेटी की चिंता

‘हर बार मर्द गलत हो ये जरूरी नहीं। इसी तरह पॉक्सो एक्ट में हमेशा पुरुष ही दोषी होगा ऐसा नहीं है। इस एक्ट के तहत महिला या लड़की भी उतनी सजा की हकदार है, जितना कि कोई दोषी पुरुष।’ ये टिप्पणी इंदौर की विशेष अदालत ने पॉक्सो एक्ट के मामले में सुनवाई करते हुए की। कोर्ट ने एक महिला को जेल की सजा सुनाई।

पुरुष किसी महिला से छेड़छाड़ और रेप करे, ऐसी खबरें तो अक्सर सुनने में आती है, लेकिन ये केस उलटा है। साल 2018 में इंदौर में एक ऐसा ही मामला सामने आया। एक 19 साल की युवती ने 15 साल के लड़के से कई बार शारीरिक संबंध बनाए। करीब 5 साल बाद 15 मार्च को कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया। युवती को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराया। कोर्ट ने उसे 10 साल के कठोर कारावास के साथ तीन हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई।

खास बात ये है कि दोषी युवती ने इस बीच शादी की। उसकी दो साल की बेटी भी है। जेल जाने के पहले वह बेटी को लेकर चिंता में थी। आरोपी को सजा दिलवाने में उसकी मेडिकल रिपोर्ट ने अहम भूमिका निभाई।

रिपोर्ट में डॉक्टर ने लिखा था – ‘युवती को यौन संबंधों की आदत (Being habitual to sex) है।’ वहीं लड़के की मेडिकल रिपोर्ट में ये बात सामने आई- 15 साल के लड़के के सेकेंडरी सेक्शुअल कैरेक्टर पूरी तरह विकसित नहीं हुए थे। वकीलों का मानना है कि संभवत: यह प्रदेश का पहला मामला है, जब पॉक्सो एक्ट में किसी युवती को सजा सुनाई गई।

FIR के मुताबिक युवती लड़के को घूमने चलने का कहकर अपने साथ ले गई थी। इसके बाद उसने कई बार उससे शारीरिक संबंध बनाए। युवती ने सजा से बचने के लिए कोर्ट के सामने जो भी तर्क रखे वे सभी एक-एक कर खारिज हो गए। यह भी कहा गया कि लड़का, युवती को जबरन अपने साथ ले गया था। दोनों की सहमति से संबंध बने।

नाबालिग लड़के को बालिग बताने की भी कोशिश कोर्ट में हुई। ये दांव नहीं चला तो युवती ने खुद को नाबालिग बता दिया, लेकिन इसके सबूत पेश नहीं कर पाई। चार साल तक केस चला। कोर्ट ने आरोपी महिला को दोषी माना। कोर्ट ने इस मामले में नाबालिग को 50 हजार रुपए देने के आदेश भी दिए।

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